National Birds Day 12 December राष्ट्रीय पक्षी दिवस 12 दिसम्बर

 राष्ट्रीय पक्षी दिवस प्रत्येक वर्ष '12 नवम्बर' को मनाया जाता है। 12 नवम्बर (1896डॉ. सालीम अली का जन्म दिवस है, जो कि विश्वविख्यात पक्षी विशेषज्ञ थे। इन्हें भारत में "पक्षी मानव" के नाम से भी जाना जाता था।


विवरणविश्वविख्यात पक्षी विशेषज्ञ डॉ. सालीम अली का जन्म दिवस भारत में 'राष्ट्रीय पक्षी दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
तिथि12 नवम्बर
अन्य जानकारीसालिम अली ने पक्षियों से सम्बंधित अनेक पुस्तकें लिखी थीं। 'बर्ड्स ऑफ़ इंडिया' इनमें सबसे लोकप्रिय पुस्तक है।



सालिम अली 
सालिम अली एक भारतीय पक्षी विज्ञानी और प्रकृतिवादी थे। सालिम अली को भारत के बर्डमैन के रूप में जाना जाता है। सलीम अली भारत के ऐसे पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने भारत भर में व्यवस्थित रूप से पक्षी सर्वेक्षण का आयोजन किया और पक्षियों पर लिखी उनकी किताबों ने भारत में पक्षी-विज्ञान के विकास में काफ़ी मदद की है। सन् 1906 में दस वर्ष के बालक सालिम अली की अटूट जिज्ञासा ने ही पक्षी शास्त्री के रूप में उन्हें आज विश्व में मान्यता दिलाई है। पक्षियों के सर्वेक्षण में 65 साल गुजार देने वाले इस शख़्स को परिंदों का चलता फिरता विश्वकोष कहा जाता था। पद्म विभूषण से नवाजे इस 'परिंदों के मसीहा' के प्रकृति संरक्षण की दिशा में किए गए प्रयासों को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।
 
जीवन परिचय 
भारत  के बर्डमैन  डॉ. सालिम मोइज़ुद्दीन अब्दुल अली का जन्म 12 नवम्बर, 1896 को बॉम्बे (अब मुम्बई), ब्रिटिश इंडिया में एक सुलेमानी बोहरा मुस्लिम परिवार में हुआ। ये अपने भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। इनके जन्म के एक वर्ष बाद पिता मोइज़ुद्दीन का और तीन वर्ष बाद माता ज़ीनत-अन-नीसा का देहांत हो गया। उनकी परवरिश मामा अमरुद्दीन और औलादहीन मामी हमीदा बेगम की देखरेख में खेतवाड़ी, मुंबई में एक मध्यम-वर्गीय परिवार में हुई। इनका सारा बचपन चिड़ियों के बीच ही गुजरा। एक गौरैया की गरदन के पीले धब्बों की जिज्ञासा उन्हें मुंबई की 'नैचुरल हिस्ट्री सोसाइटी' के सचिव डब्ल्यू. एस. मिलार्ड के पास ले गई। यह मुलाक़ात उनके जीवन का एक अहम् मोड़ साबित हुई। सालिम को पहली बार पक्षियों की इतनी सारी प्रजाति होने की जानकारी हुई। यहीं से उनका झुकाव परिंदों की ओर हुआ और उन्होंने इनके बारे में सब कुछ जानने की ठान ली। इसके लिए मिलार्ड ने उनकी बहुत मदद की। उन्होंने सालिम को सोसाइटी के पक्षियों के संग्रह से परिचित कराया। साथ ही पक्षियों से संबंधित कुछ पुस्तकों से भी अवगत कराया। एडवर्ड हैमिल्टन ऐटकेन की पुस्तक 'कॉमन बर्ड्स ऑफ़ बॉम्बे' ने सालिम को पक्षियों के संग्रह के लिए प्रेरित किया। सालिम के पास विश्वविद्यालय की डिग्री नहीं थी। इसका सबसे बड़ा कारण था उनका गणित में कमज़ोर होना। हालांकि कॉलेज में उन्होंने शिक्षा प्राप्त की थी, लेकिन डिग्री नहीं ले पाए थे।




  • पक्षी विशेषक्ष सालिम अली के जन्म दिवस को 'भारत सरकार' ने राष्ट्रीय पक्षी दिवस घोषित किया हुआ है।
  • सालिम अली ने पक्षियों से सम्बंधित अनेक पुस्तकें लिखी थीं। 'बर्ड्स ऑफ़ इंडिया' इनमें सबसे लोकप्रिय पुस्तक है।
  • डाक विभाग ने इनकी स्मृति में डाक टिकट भी जारी किया है।
  • वर्ष 1958 में सालिम अली को 'पद्मभूषण' तथा 1976 में 'पद्मविभूषण' से अलंकृत किया गया था।
 
विशेष योगदान
'बर्लिन विश्वविद्यालय' में उन्होंने प्रसिद्ध जीव वैज्ञानिक इरविन स्ट्रेसमैन के तहत काम किया। वह वर्ष 1930 में भारत लौटे और फिर पक्षियों पर तेजी से काम शुरू किया। आज़ादी के बाद सालिम 'बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी' (बीएनएसच) के प्रमुख लोगों में रहे। उन्होंने भरतपुर पक्षी विहार की स्थापना में प्रमुख भूमिका निभाई।
 
सम्मान और पुरस्कार
डॉ सलीम अली ने प्रकृति विज्ञान और पक्षी विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस दिशा में उनके कार्यों  के मद्देनजर उन्हें कई प्रतिष्ठित सम्मान दिए गए। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी। उनके महत्त्वपूर्ण कार्यों के लिए उन्हें भारत सरकार ने भी उन्हें सन 1958 में पद्म भूषण व 1976 में पद्म विभूषण जैसे महत्वपूर्ण नागरिक सम्मानों से नवाजा।
 
निधन
27 जुलाई 1987 को 91 साल की उम्र में डॉ. सालिम अली का निधन मुंबई में हुआ। डॉ सलीम अली भारत में एक ‘पक्षी अध्ययन व शोध केन्द्र’ की स्थापना करना चाहते थे। इनके महत्वपूर्ण कार्यों और प्रकृति विज्ञान और पक्षी विज्ञान के क्षेत्र में अहम् योगदान के मद्देनजर ‘बॉम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसाइटी’ और ‘पर्यावरण एवं वन मंत्रालय’ द्वारा कोयम्बटूर के निकट ‘अनाइकट्टी’ नामक स्थान पर ‘सलीम अली पक्षीविज्ञान एवं प्राकृतिक इतिहास केन्द्र’ स्थापित किया गया।

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